हिजाब को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है हिजाब को लेकर आए दिन हमारे देश में कंट्रोवर्सी होती रहती है खास करके स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी के परिसर क्लास रूम में क्या मुस्लिम लड़कियां ही जहां पहन सकती हैं या नहीं ?
आए दिन कई विवाद सामने आते रहते हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिजाब पहनकर कॉलेज में पहुंची तीन छात्राएं तो काफी हंगामा मच गया टीचर ने कहा कि ऐसे आना तो मदरसे में पढ़ो तो इधर छात्राएं बोली कि भले हमारा नाम काट दीजिए लेकिन हिजाब तो पहनेगी यह घटना है यूपी के बायलर इंटर कॉलेज कानपुर की तो
दोस्तों हिजाब पर प्रतिबंध के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें कुछ छात्र-छात्राओं ने याचिका दायर की थी तो आईए देखते हैं देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए क्या कहा
देखिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया मुंबई के कॉलेज में बुर्का या हिजाब के पहनने पर रोक लगा दिए हैं जो हाई कोर्ट ने रोक लगाई थी उसे फैसले पर ही रोक लगा दी मतलब हिजाब बंद नहीं होगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कैंपस में पहन सकेंगी छात्राएं हिजाब लेकिन क्लासरूम में नहीं चलेगा | पूरा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं के पक्षमें क्या-क्या कहा तो सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को मुंबई के दो कॉलेज के उसे आदेश पर आंशिक रूप से रोक लगा दिया मतलब यह भी परमानेंट फैसला नहीं है
जिसमें कॉलेज कैंपस में हिजाब बुर्का या नाकाब पहनने पर पहले मुंबई के दो कॉलेज में कोर्ट ने रोक लगाई थी तो उसे कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया समझ रहे हो
मतलब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार के बेंच ने कहा कि स्टूडेंट्स को क्या पहनना है क्या नहीं पहनना है इस पर हम प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं
और सुप्रीम कोर्ट बेंच ने यह भी कहा कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अपनी पसंद स्टूडेंट में नहीं टोक सकते हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चला कि देश में कई धर्म है अगर कॉलेज का इरादा स्टूडेंट की धार्मिक आस्था को उजागर न करने का था तो उसने तिलक और बिंदी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया यह भी एक जायज स्टेटमेंट दिया सुप्रीम कोर्ट ने
क्योंकि हिंदू धर्म की लड़कियां भी तो बिंदी लगाकर आती है तिलक लगाकर आती है जो शादीशुदा लड़कियों मांग भर के आती है कॉलेज में तो उन पर क्यों बहन नहीं है जबकि बुर्के पर क्यों बैन लगाया जाए
कोर्ट ने कॉलेज चलने वाली चैंबर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी की वकील माधवी दिवान से पूछा कि क्या स्टूडेंट के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती हालांकि बेंच ने कहा कि स्टूडेंटको क्लास के अंडर बुर्का पहनने की और कैंपस में धार्मिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है
मतलब ऐसा नहीं की बुर्का पहनने की इज्जत कैंपस में दे दी तो कल को नमाज भी पढ़ने लग जाए कैंप कोर्ट ने सिर्फ यह कहा कि लड़कियां लड़के चाहे किसी भी धर्म से जुड़े हो अपने मनपसंद के ड्रेस पहन सकते हैं सिर्फ कैंपस में क्लास रूम में यह नहीं चलेगा कोर्ट ने सर्कुलर पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया
कैंपस के अंदर नकाब हिजाब बुर्का इन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया और सुप्रीम कोर्ट ने यह भी हिदायत दिए कि कोर्ट के अंतिम आदेश का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए अगर ऐसा होता है तो शैक्षणिक कॉलेज या समिति अदालत का रुख कर सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया जिसमे कॉलेज के द्वारा ही चिपकाए हुआ नोटिस है जिसमें कॉलेज ने सर्कुलर में क्या कहा था अचार्य और डीके मराठे कॉलेज के प्रशासन ने हिजाब नकाब बुर्का स्टॉल टोपी पहनने पर बैन लगाया हुआ है
इसको लेकर 9 लड़कियों ने पहले मुंबई हाई कोर्ट में आज का दायर की थी हालांकि मुंबई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था तो इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी और याचिका करता हूं की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था
उन्होंने कहा था कि कॉलेज जाएलडी शुरू हो जाएगा ऐसे में मामले को प्राथमिकता से सुना जाए तो आज सुनवाई भी हुई कॉलेज की तरफ से नोटिस के दो पॉइंट्स में आप देख सकते हैं कि छात्रों को कैंपस में सलीम पोशाक पहननी चाहिए मतलब साधारण सिंपल जो कॉलेज की ड्रेस होती है वैसे लड़कियां इंडियन या वेस्टर्न कोई भी आउटफिट पहन सकती है