छतीसगढ़ के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज में कार्यरत संविदा शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा 2018 में दिए गए फैसले को जारी रखा है इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी खारिज कर दी है शीर्ष अदालत ने 3 महीने के भीतर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उसे निर्णय का पालन करने को कहा है
जिसमें कोर्ट ने ऐसी याचिका करता सभी संविदा प्राध्यापकों को नियमित करने के निर्देश दिए हैं हाई कोर्ट के फैसले को पिछली कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती देकर कहा था कि संविदा पर कार्यरत इन शिक्षकों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है दिसंबर 2018 में हुए इस फैसले के खिलाफ 2019 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्क को खारिज कर दिया कि शिक्षकों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गावे जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस कवि विश्वनाथन का कोरमा इस मामले में निर्धारित था
आशीष कोर्ट ने सिर्फ अदालत की लड़ाई लड़ने वाले करीब 75 संविदा शिक्षकों को नियमित करने के आदेश दे दिए हैं साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कानूनी लड़ाई लड़ने वालेसंविदा शिक्षक नियमितीकरण के पात्र होंगे गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी होने के दिन से आगामी 3 महीने के भीतर ही हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश का पालन करने के स्पष्ट निर्देश देते हुए राज्य शासन की याचिका खारिज कर दी गई है अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपकी क्या राय है और क्या आप इस फैसले का स्वागत करते हैं कमेंट में अपनी राय जरूर रखें इसके साथ इस news को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे