कोरिया बाघ का मिला शव क्षेत्र में फैली सनसनी

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बाघ शव मिलने से क्षेत्र में फैली सनसनी कोरिया वन मंडल अंतर्गत गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर सोना सीमा क्षेत्र में स्थित देवशील कटवार समीप नदी के किनारे मित का सा शुक्रवार आठ नंबर को मिला है जानकारी के अनुसार सूचना पर वह विभाग के सीसीए सहित वन अमला घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन बाकी मौत कैसी हुई है इसका पता नहीं चल सका अधिकारियों के अनुसार बाग की मौत कैसे हुई है या पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा वहीं विगत 3 वर्ष पूर्व एक बार की मौत इसी क्षेत्र में हुई थी बताया जा रहा है

ग्रामीणों ने उसे जहर देकर मार डाला था इस इस बार भी बाघ कसाव मिलने के बाद जहर खुरान की संभावना जताई जा रही है लेकिन वन सीमा से नजर देने वाले जिम्मेदार अधिकारी इस घटना के बाद मोबाइल बंद कर चुके हैं और  पत्रकारों के सवाल का जवाब देने से बचता नजर आ रहे हैं वहीं पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ भी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है बता दे की जून 2022 में कोरिया जिला के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान अंतर्गत रामगढ़ रेंज के सोलगामा खुर्द में बाघ शामिल था इस घटना के बाद जिला से लेकर प्रदेश के अफसर में हड़कंप मची थी जानकारी के अनुसार कोरिया जिला के अंतर्गत स्थित एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान की अधिकारियों के मुख्यालय से लगातार नदारत रहाणे मध्य प्रदेश में स्थित किसी राष्ट्रीय उद्यान के बाघ की मौत कहीं ना कहीं वन विभाग के अधिकारियों के निवास में ना रहने वह गस्ती को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं 

इसका जवाब आप पदस्थ अधिकारियों के पास भी नहीं है कि आखिर इस मौत से जिम्मेदार कौन है कोरिया जिला में बाघ की मौत होने के बाद अब जिला के राष्ट्रीय उद्यान में दूसरे राज्य की बाघकी मौत के बाद जिला में बना रहे गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों कीसुरक्षा पर सवाल उठने लग गए हैं अन्य जंगलों में अन्य राज्यों में घूम रहे बाग कितने सुरक्षित है वही वन अमेरिकी डाक स्कर्ट के पहुंचने से इस मामले में और भी खुलासा होने की संभावना है वन विभाग के अधिकारी बाग की मृत्यु को लेकर के सही समय में नहीं पहुंचे थे

लेकिन ग्रामीणों ने मामले को सोशल मीडिया में पोस्ट कर खुलासा कर दिया इस बार दोपहर बाद तक अधिकारी पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में कुछ जगह सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रभार डिप्टी रंगेरो और रंगेरो पर है जो की जुगाड़ में रेंजर की कुर्सी पर बैठ तो गए किंतु अपने-अपने मुख्यालय से ज्यादा तान्या दर्द रहते हैं किंतु बाघ की मौत ने इन प्रभारी रंगेरो और रंगेरो की सुरक्षा को लेकर मॉनिटरिंग पर कई सवाल छोड़ दिया है कि आखिर क्या मजबूरी है की जुगाड़ के डिप्टी  रेंजर का तबादला नहीं होने के कारण एक ही जगह पर सालो से एक  टिके हुए हैं 

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